अब हम अगले इंडिकेटर की गहराई से समझ करेंगे:
✅ Accumulative Swing Index (ASI) Indicator
📌 1. यह इंडिकेटर कैसे काम करता है और गणितीय आधार क्या है?
Accumulative Swing Index (ASI) को Welles Wilder ने बनाया था। इसका उद्देश्य यह समझना है कि मार्केट का असली ट्रेंड क्या है, खासकर जब प्राइस में बार-बार छोटे मूवमेंट हो रहे हों।
यह एक ट्रेंड इंडिकेटर है जो ओपन, हाई, लो और क्लोज प्राइस को यूज़ करके एक कंटिन्युअस लाइन बनाता है, जो बताती है कि मार्केट ऊपर जा रहा है या नीचे।
फॉर्मूला (सिंपल भाषा में):
ASI = पिछले ASI + Swing Index (SI)
जहाँ Swing Index (SI) एक complex formula है जो हाई, लो, क्लोज और पिछले क्लोज का उपयोग करता है।
इसमें प्राइस मूवमेंट की सच्चाई को दिखाया जाता है – यानी price ऊपर जा रहा है, लेकिन अगर ASI सपोर्ट नहीं कर रहा, तो मूव फेक हो सकता है।
📌 2. इंट्राडे में कैसे उपयोग करें? कौन-सा टाइमफ्रेम अच्छा है?
- ASI से आपको ये पता चलता है कि कौन सा ट्रेंड असली है, और किसे इग्नोर करना चाहिए।
- यह खासतौर पर ब्रेकआउट और ट्रेंडलाइन कन्फर्मेशन के लिए अच्छा है।
📊 Best Timeframes:
- 5-minute
- 15-minute
(1-minute पर unreliable हो सकता है)
📌 3. सेटअप (Default vs Custom)
- Default settings:
- Limit Move Value = 12 (default रहता है)
- Customization की जरूरत तभी होती है जब आप ज्यादा volatile स्टॉक्स में ट्रेड करें
📌 4. BUY और SELL Entry कब लेनी चाहिए?
✅ BUY ENTRY:
- जब प्राइस ऊपर जा रहा हो और ASI लगातार ऊपर जा रहा हो
- या जब ASI अपनी ट्रेंडलाइन को ऊपर की तरफ तोड़े
❌ SELL ENTRY:
- जब ASI नीचे की तरफ टूटे
- या जब प्राइस नीचे जा रहा हो और ASI भी स्लोप डाउन में हो
📌 5. संकेत कब गलत हो सकते हैं?
- जब मार्केट highly range-bound हो
- जब वॉल्यूम बहुत कम हो
- Gap-up या gap-down मूवमेंट के समय यह delayed संकेत दे सकता है
📌 6. स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे सेट करें?
🎯 BUY Trade SL:
- पिछला swing low या nearest support
🎯 SELL Trade SL:
- पिछला swing high या nearest resistance
🎯 Target:
- Risk-Reward ratio 1:2 से शुरू करें
- या जब ASI की स्लोप धीमी हो जाए / फ्लैट हो जाए
📌 7. किन इंडिकेटर्स के साथ मिलाएं?
- ✅ Trendline / Chart Pattern: ASI लाइन ब्रेक करे तो pattern कन्फर्म हो जाता है
- ✅ RSI/MACD: ट्रेंड स्ट्रेंथ को कन्फर्म करें
- ✅ Volume Indicator / VWAP: ASI को volume से सपोर्ट मिलना चाहिए
📌 8. रियल लाइफ उदाहरण
📅 Stock: SBIN
🕐 Timeframe: 5-minute
- Price ने ₹825 पर एक resistance ब्रेक किया
- ASI ने भी वहीँ पर trendline को ऊपर ब्रेक किया
- Entry: ₹826
- Stop Loss: ₹821
- Target 1: ₹832
- Target 2: ₹837
- RSI भी 60 के ऊपर था → ट्रेंड स्ट्रॉन्ग
📌 9. किन स्टॉक्स या सेक्टर्स में ज्यादा अच्छा काम करता है?
- ट्रेंडिंग स्टॉक्स: जैसे Nifty50 heavyweights – SBI, ICICI Bank, Reliance
- Volatile stocks: जहां प्राइस तेज़ मूव करता है
Avoid करें: Slow-moving या low-volume स्टॉक्स
📌 10. प्रो ट्रेडर्स की टिप्स
✔ ASI का यूज़ वो price structure कन्फर्म करने में करते हैं
✔ Price अगर ऊपर जा रहा हो लेकिन ASI सपोर्ट न कर रहा हो → वे ट्रेड नहीं लेते
✔ ASI divergence को बहुत गंभीरता से लेते हैं
✔ वो ASI को हमेशा VWAP या RSI के साथ क्रॉस-चेक करते हैं
🔚 निष्कर्ष:
Accumulative Swing Index (ASI) ट्रेंड कन्फर्मेशन के लिए एक शानदार टूल है, खासकर जब प्राइस चोप्पी या संदेहास्पद होता है। यह इंडिकेटर दिखाता है कि क्या प्राइस में जो मूव हो रहा है वो गंभीर है या सिर्फ शोर। लेकिन यह अकेले काम नहीं करता – इसे अन्य इंडिकेटर्स के साथ मिलाकर यूज़ करें।
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