गरीब परिवारों पर महंगाई का प्रभाव और आर्थिक विकास की चुनौतियाँ 2024

खाने-पीने की चीजों की महंगाई का गरीब परिवारों पर अमीरों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभाव पड़ता है । आर्थिक विकास के लाभ अमीरों की जेब में जा रहे हैं। गरीब परिवारों पर महंगाई का प्रभाव और आर्थिक विकास की चुनौतियाँ को जानने के लिए पूरा पोस्ट पढ़िये ।

चुनाव का राजनीतिक एजेंडा

चुनाव परिणामों ने व्यापक राहत दी है। मतदाताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि वे राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने वाली किसी भी अनुचित शैली का समर्थन नहीं करेंगे।

कई विकासशील देश तानाशाही और पक्षपाती अथवा क्रोनी पूंजीवाद में फिसल गए हैं, जहां कुछ बड़े व्यापारिक घराने अर्थव्यवस्था के सभी उपकरणों को नियंत्रित करते हैं और राष्ट्र को दीर्घकालीन नुकसान पहुंचाते हैं।

भारत को भी एक बड़े जोखिम का सामना करना पड़ा है। लेकिन चुनाव परिणाम बतलाते हैं कि औसत मतदाता परिपक्व है, जोखिम को पहचानता है, और वह देश को इस रास्ते पर ले जाने की अनुमति नहीं देगा।

भारत की अर्थव्यवस्था

चुनाव के बाद सबके मन में बड़ा सवाल है कि अर्थव्यवस्था का क्या होगा? समग्र जीडीपी के संदर्भ में, पिछले दो वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

2023-24 में 8.2% की वृद्धि अच्छा प्रदर्शन है। हालांकि, जब आप समग्र दृष्टिकोण से हटकर जमीनी स्तर पर देखते हैं, तो तस्वीर अलग दिखाई देती है।

गरीब और यहां तक कि मध्य वर्ग के बड़े हिस्से ने आय में गिरावट देखी है, कॉलेज से नए निकले युवाओं को अभूतपूर्व बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, और किसान और छोटे व्यवसाय जीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

हम जीडीपी वृद्धि के समाचार को आम लोगों के आर्थिक संघर्ष के बुरे समाचार के साथ कैसे संतुलित कर सकते हैं? विभिन्न प्रकार के डेटा से हम देख सकते हैं कि यह इसलिए हो रहा है क्योंकि लगभग सारी जीडीपी वृद्धि का लाभ अत्यधिक अमीरों की जेब में जा रहा है।

कृषि क्षेत्र मे

कृषि वर्ग को ही लें। यह हमेशा से ऐसा क्षेत्र रहा है, जहां भारत का अधिशेष श्रम एकत्रित होता है। कृषि वर्ग भारत: के जीडीपी का लगभग 15% उत्पादन करता है।

हालांकि, इस क्षेत्र में श्रमिक वर्ग का 40% से अधिक हिस्सा काम करता है, जिसका अर्थ है कि इन लोगों की कमाई अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों की तुलना में बहुत कम है। उनके पास कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और सेवा जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं।

जो सत्य है लेकिन व्यापक रूप से ज्ञात नहीं है, वह यह है कि यह समस्या और बदतर हो गई है। 2018-19 में, भारत के श्रमिक वर्ग का 42.5% कृषि वर्ग में था।

यह पहले ही चिंताजनक आंकड़ा इसके बाद और खराब हो गया। 2022-23 में, यह 45.8% हो गया।

क्योंकि हमारा नीतिगत ध्यान बड़ी कंपनियों की मदद राजनेता इसे पहचानें और विनम्रता से इस प्रतिभा का ‘उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण नीतियों पर निर्णय लेने के लिए करने में लगा था। विशेषज्ञों को मौका दें।.

भारत की महंगाई

अब महंगाई पर विचार करें। भारत की कुल महंगाई दर वर्तमान में 4.8% है। यह अधिक है लेकिन अत्यधिक नहीं है।

हालांकि अगर हम इसे उप-घटकों में विभाजित करें, तो पता चलता है कि खाने-पीने की चीजों की महंगाई 8.7% पर बहुत अधिक है। और सब्जियों की कीमतों में महंगाई पिछले 4 महीनों से 27% है। यह चौंका देने वाली बात है।

अब देखें कि एक अमीर परिवार के कुल मासिक खर्च का – कितना प्रतिशत खाना और सब्जियां खरीदने में जाता है। अमीरों के लिए यह 5% तक भी हो सकता हैं, जो कि काफी कम है, जबकि गरीब परिवारों के लिए यह 50% या इससे भी अधिक हो सकता है।

इसका मतलब है कि खाने-पीने की चीजों और सब्जियों की उच्च महंगाई का गरीब परिवारों पर अमीर परिवारों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभाव पड़ता है। सिर्फ 4.8% की कुल महंगाई की बात करने से यह बात सामने नहीं आती।

यह संभव है कि इन समस्याओं का समाधान किया जाए और देश को एक बार फिर विकास की राह पर लाया जाए, जिसका लाभ सभी को मिले।

बस अपनी गलतियों को स्वीकारने और उन्हें सुधारने का साहस चाहिए। भारत में अपार प्रतिभा और विशेषज्ञता है। हमें चाहिए कि हमारे अब रोजगार सृजन की बड़ी चुनौती पर विचार करें।

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र

इसके लिए कई उपायों की आवश्यकता होगी। इनमें से एक है श्रम कानूनों का सुधार। अगर औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 को समझदारी से संशोधित किया जाए, तो हमारा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र उड़ान भर सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बन सकते हैं।

हालांकि, इसे तकनीकी तरीके से और विस्तार से ध्यान देकर किया जाना चाहिए। हमें वह गलती नहीं दोहरानी चाहिए, जो सरकार ने कृषि कानूनों के साथ की थी।

इन कानूनों में सुधार के नाम पर ऐसे परिवर्तन किए गए थे, जो कृषि उत्पादों की बिक्री को कुछ बड़े व्यवसायों के हाथों में ही केंद्रित कर देते।

शिक्षा क्षेत्र मे

दूसरा क्षेत्र जिसे सुधारने की जरूरत है, वह है शिक्षा ।

भारत की उच्च शिक्षा, जब से 1951 में पहला आईआईटी स्थापित की गई थी, बहुत ही अच्छी रही है। इस क्षेत्र को पनपने के लिए हमें अपने विश्वविद्यालयों को रचनात्मकता, नए विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जगह देनी होगी।

अर्थव्यवस्था की सफलता की कुंजी यह है कि राष्ट्रीय हित को राजनीतिक हित से ऊपर रखा जाए।

FAQ

प्रश्न 1: 2024 में गरीब परिवारों पर महंगाई का क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर: 2024 में बढ़ती महंगाई का गरीब परिवारों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। उनकी खरीद शक्ति कम हो रही है, जिससे उन्हें भोजन, आश्रय, कपड़े और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल हो रही है।

प्रश्न 2: महंगाई गरीब परिवारों को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर: महंगाई गरीब परिवारों को कई तरह से प्रभावित करती है:

  • खाद्य असुरक्षा: बढ़ते खाद्य पदार्थों की कीमतों के कारण गरीब परिवारों को कम खाना खरीदना पड़ता है, जिससे पोषण की कमी हो सकती है।
  • ऋण बोझ: महंगाई के कारण गरीब परिवारों को आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए कर्ज लेना पड़ता है, जिससे उनका ऋण बोझ बढ़ जाता है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में कमी: गरीब परिवार अक्सर बच्चों को स्कूल से निकालकर काम करने के लिए मजबूर होते हैं और स्वास्थ्य सेवा खर्च वहन नहीं कर पाते हैं।
  • सामाजिक अशांति: बढ़ती गरीबी और असमानता से सामाजिक अशांति और अस्थिरता पैदा हो सकती है।

प्रश्न 3: महंगाई और आर्थिक विकास के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: महंगाई और आर्थिक विकास के बीच एक जटिल संबंध है।

  • कम महंगाई: आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है क्योंकि यह उपभोक्ता खर्च को बढ़ाती है और निवेश को प्रोत्साहित करती है।
  • अत्यधिक महंगाई: आर्थिक विकास को बाधित कर सकती है क्योंकि यह उत्पादन लागत को बढ़ाती है, ब्याज दरों को बढ़ाती है, और खपत को कम करती है।

प्रश्न 4: 2024 में भारत में आर्थिक विकास की क्या चुनौतियाँ हैं?

उत्तर: 2024 में भारत में आर्थिक विकास को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं:

  • महंगाई: बढ़ती महंगाई घरेलू खर्च और निवेश को कम कर रही है।
  • बेरोजगारी: उच्च बेरोजगारी दर गरीबी और असमानता को बढ़ा रही है।
  • वैश्विक अनिश्चितता: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का भारत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • आधारभूत ढांचे की कमी: अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर विकास व्यापार और निवेश को बाधित कर रहा है।

प्रश्न 5: गरीबी और महंगाई से निपटने के लिए सरकार क्या कर सकती है?

उत्तर: सरकार गरीबी और महंगाई से निपटने के लिए कई कदम उठा सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: गरीबों को आर्थिक सहायता प्रदान करना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • रोजगार सृजन: रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  • महंगाई नियंत्रण: मौद्रिक नीति का उपयोग करके महंगाई को नियंत्रित करना।
  • कृषि सुधार: कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि सुधार करना।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश: मानव पूंजी में निवेश करके गरीबी के चक्र को तोड़ना

प्रश्न 6: महंगाई के दौरान गरीब परिवार कैसे बचत कर सकते हैं?

उत्तर: महंगाई के दौरान गरीब परिवारों के लिए बचत करना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ रणनीतियाँ उनकी मदद कर सकती हैं:

  • बजट बनाना और उसका पालन करना: आय और खर्च का ट्रैक रखें और गैर-जरूरी खर्च में कटौती करें।
  • खरीददारी की आदतों को बदलना: सस्ते विकल्प तलाशें, थोक में खरीदें (यदि संभव हो), और ब्रांडेड उत्पादों से बचें।
  • ऊर्जा संरक्षण: बिजली और पानी के बिलों को कम करने के लिए ऊर्जा की बचत करें।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: गरीबों के लिए रियायतें और सब्सिडी वाली सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।

प्रश्न 7: महंगाई से गरीब महिलाओं को सबसे ज्यादा कैसे प्रभावित किया जाता है?

उत्तर: महंगाई अक्सर गरीब महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित करती है:

  • खाद्य असुरक्षा: महिलाएं अक्सर भोजन को प्राथमिकता देती हैं, जिससे उनका अपना पोषण कम हो जाता है।
  • अधिक काम का बोझ: भोजन और ईंधन जैसी वस्तुओं को प्राप्त करने में अधिक समय लग सकता है, जिससे महिलाओं के पास काम करने और आराम करने का कम समय बचता है।
  • घरेलू हिंसा: आर्थिक तनाव से घरेलू हिंसा का खतरा बढ़ सकता है।

प्रश्न 8: क्या ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों पर महंगाई का समान प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: नहीं, ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों पर महंगाई का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है:

  • ग्रामीण क्षेत्र: ग्रामीण परिवारों के लिए खाद्य पदार्थ थोड़े सस्ते हो सकते हैं, लेकिन वे ईंधन मूल्य वृद्धि और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
  • शहरी क्षेत्र: शहरी गरीबों को आवास, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है।

प्रश्न 9: आर्थिक विकास गरीबी को कैसे कम कर सकता है?

उत्तर: आर्थिक विकास गरीबी को कई तरह से कम कर सकता है:

  • रोजगार सृजन: नौकरियों की वृद्धि से गरीबों की आय बढ़ सकती है।
  • सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए धन: आर्थिक विकास सरकार को गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करने के लिए अधिक धन उपलब्ध करा सकता है।
  • कौशल विकास: आर्थिक विकास कौशल विकास के अवसरों को बढ़ा सकता है, जिससे गरीबों को बेहतर रोजगार प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

प्रश्न 10: भविष्य में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भारत को क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर: भविष्य में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भारत निम्नलिखित कदम उठा सकता है:

  • आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: कृषि उपज के भंडारण और परिवहन में सुधार करके आपूर्ति श्रृंखला की कमियों को कम करना।
  • आयात कम करना: गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात को कम करके मांग को नियंत्रित करना।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: परिवहन और कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश करके वस्तुओं और सेवाओं की लागत को कम करना।
  • मजबूत वित्तीय प्रणाली: मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति का प्रभावी ढंग से उपयोग करना।

यदि आपके पास इस विषय पर अधिक सवाल हैं या आपको इसके बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणी करें या अपने स्थानीय स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करें।

Also Read –

कैंसर के इलाज मे हर साल 7 लाख रूपये तक खर्च

Leave a Comment